Biological control of insect pest 2024 किसान पी. जी कालेज में डॉ अरविंद तोमर जी के द्वारा कीटो के जैविक नियंत्रण ट्राइकोडरमा, व्यूवेरिया बेसियाना का अध्यन कराया गया यहां से सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें…

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Biological control of insect pest 2024

Biological control of insect pest 2024 : ट्रिकोडरमा यह एक जैविक फेफूदीनाशक हैं इसका प्रयोग फेफूदीजनित व्याधियों के नियंत्रण में किया जाता है जैसे दलहनी फसलों के उकठा रोग, जड़ सड़न रोग तथा अंगमारी जैसी बीमारियों के लिए सर्वोत्तम दवा है। प्रयोग बीज शोधन के लिए 4gm/1kg किया जाता हैं तथा गोबर की खाद (FYM) के साथ भी मृदाजनित रोगों’ में इसका प्रयोग किया जाता रहा है

Biological control of insect pest 2024

ट्राइकोडर्मा का उपयोग मुख्य रूप से मिट्टी से होने वाली बीमारियों के साथ-साथ विभिन्न पौधों की कुछ पत्तियों और पुष्पगुच्छों की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। ट्राइकोडर्मा न केवल बीमारियों को रोक सकता है बल्कि पौधों के विकास को भी बढ़ावा देता है, पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार करता है, पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और कृषि रसायन प्रदूषण पर्यावरण में सुधार करता है।

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Biological control of insect pest 2024 : ट्रिकोडरमा यह एक जैविक फेफूदीनाशक हैं इसका प्रयोग फेफूदीजनित व्याधियों के नियंत्रण में किया जाता है जैसे दलहनी फसलों के उकठा रोग, जड़ सड़न रोग तथा अंगमारी जैसी बीमारियों के लिए सर्वोत्तम दवा है। प्रयोग बीज शोधन के लिए 4gm/1kg किया जाता हैं तथा गोबर की खाद (FYM) के साथ भी मृदाजनित रोगों’ में इसका प्रयोग किया जाता रहा हैट्राइकोडरमा क्या है और इसका प्रयोग कैसे करते हैट्राइ‌कोडर्मा संरचना तथा प्राकृतिक निवासट्राइकोडर्मा एक फफूंदी नाशक दवा हैट्राइकोडर्मा एवं रोग नियंत्रण :किन प्रकार के फसलों में होता है ट्राइकोडर्मा का इस्तेमालकैसे किया जाता है ट्राइकोडर्मा का इस्तेमालBiological control of insect pest 2024 ट्राईकोडर्मा संवर्धित खादBiological control of insect pest 2024 ट्राइकोडर्मा के प्रयोग की विधि :ट्राइकोडर्मा के प्रयोग से लाभ :ट्राइकोडर्मा के लिए क्या सावधानियां बरतेंनिष्कर्षब्यूवेरिया बेसियाना का उपयोग कई कीटों जैसे दीमक, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लिज़, एफिड्स, बीटल और कई अन्य कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशक के रूप में किया जा सकता है.कीट प्रबंधन के लिए ब्यूवेरिया बैसियाना का उपयोग करनाफफूंद का छिडकाव हम किन किन फसलो में कर सकते है ?फसलो को मिलनेवाले फायदे ISRO free Online Course Certificate 2024 आज के युग में, जहां तकनीकी और शैक्षिक प्रगति ने नए आयाम स्थापित किए हैं, वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी अपने अनूठे योगदान से इस क्षेत्र में एक मील का पत्थर स्थापित किया है। इसरो ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहुंच को और अधिक समृद्ध बनाते हुए फ्री ऑनलाइन कोर्स की एक शृंखला प्रस्तुत की है, 

ट्राइकोडरमा क्या है और इसका प्रयोग कैसे करते है

Biological control of insect pest 2024 ट्राइकोडरमा एक घुलनशील जैविक फफूंदनाशक है, जो ट्राइकोडरमा विरडी या ट्राइकोडरमा हरजिएनम पर आधारित है। ट्राइकोडरमा फसलों में जड़ तथा तना गलन/सडऩ उकठा (फ्यूजेरियम आक्सीस्पोरम, स्केल रोसिया डायलेक्टेमिया) जो फफूंद जनित है, में फसलों पर लाभप्रद पाया गया है। धान, गेहूं, दलहनी फसलें, गन्ना, कपास, सब्जियों फलों एवं वृक्षों पर रोगों से यह प्रभावकारी रोकथाम करता है। Biological control of insect pest 2024

ट्राइकोडरमा के कवक तन्तु फसल के नुकसानदायक फफूंदी के कवक तन्तुओं को लपेटकर या सीधे अंदर घुसकर उनका जीवन रस चूस लेते हैं और नुकसानदायक फफूंदों का नाश करते हैं। इसके अतिरिक्त भोजन स्पर्धा के द्वारा तथा कुछ ऐसे विषाक्त पदार्थ का स्राव करते हैं जो बीजों के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर हानिकारक फफूंदों से सुरक्षा देते हैं। ट्राइकोडरमा से बीजों में अंकुरण अच्छा होकर फसलें फफूंद जनित रोगों से मुक्त रहती हैं एवं उनकी नर्सरी से ही वृद्धि अच्छी होती है। Biological control of insect pest 2024

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ट्राइ‌कोडर्मा संरचना तथा प्राकृतिक निवास

ट्राइकोडर्मा पौधों के जड़-विन्यास क्षेत्र (राइजोस्फियर) में खामोशी से अनवरत कार्य करने वाला सूक्ष्म कार्यकर्ता है। यह एक अरोगकारक मृदोपजीवी कवक है जो प्राय : कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है। इसकी दो प्रजातियाँ विशेष रूप से प्रचलित है- ट्राईकोडर्मा विरिडी एवं ट्राईकोडर्मा हर्जियानम। यह बहुत ही महत्वपूर्ण एवं कृषि की दृष्टि से उपयोगी है। यह एक जैव-कवकनाशी है और विभिन्न प्रकार की कवकजनित बीमारियों को रोकने में मदद करता है जिससे रसायनिक कवकनाशी के ऊपर निर्भरता कम हो जाती है। इसका प्रयोग प्रमुख रूप से पौधे रोगकारक जीवों की रोकथाम के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग प्राकृतिक रूप से सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसके उपयोग से प्रकृति में कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलता है। Biological control of insect pest 2024

ट्राइकोडर्मा एक फफूंदी नाशक दवा है

ट्राइकोडर्मा एक फफूंदी नाशक दवा है, जिसका उपयोग कई प्रकार के फसलों के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार किसान फसल में तना, जड़ के गलने की समस्या, उकठा रोग, फल के सड़ने की समस्या, तना के झुलसने की समस्या के साथ- साथ स्क्लेरोशियम, फाइटोफ्योटा, पिथियम, राइजोक्टोनिया, स्कलेटरोटिनिया, फ्यूजेरियम आदि के लिए ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये मुख्य रूप से मिट्टी से जुड़ी बीमारियां हैं, जिसके समाधान के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। Biological control of insect pest 2024

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ट्राइकोडर्मा एवं रोग नियंत्रण :

ट्राइकोडर्मा मुख्यत: एक जैव कवकनाशी है। यह रोग

उत्पन्न करने वाले कारकों जैसे-फ्यूजेरियम, पिथियम, फाइटोप्थोरा, राइजोक्टोनिया, स्क्लैरोशियम, स्कलैरोटिनिया इत्यादि मृदोपजनित रोगजनकों की वृद्धि को रोककर अथवा उन्हें मारकर पौधों में उनसे होने वाले रोगों से सुरक्षा करता है। इसके अलावा यह सूत्रकृमी से होने वाले रोगों से भी पौधों Biological control of insect pest 2024

की रक्षा करते हैं। यह मुख्यत: दो प्रकार से रोगकारकों की वृद्धि को रोकता है। प्रथम, यह विशेष प्रकार के प्रतिजैविक रसायनों का संश्लेशण एवं उत्सर्जन करता है जो रोगकारक जीवों के लिए विष का काम करता है। दूसरा, यह प्रकृति में रोगकारकों पर सीधा आक्रमण कर उसे अपना भोजन बना लेता है या उन्हें अपने विशेष एन्जाइम जैसे काइटिनेज, B-1,3, ग्लूकानेज द्वारा तोड़ देता है। इस प्रकार रोगकारक जीवों की संख्या तथा उनसे होनेवाले दुष्प्रभाव को कम करके पौधों की रक्षा करता है। यह पौधों में उपस्थित रोग-रोधी जीन्स को सक्रिय कर पौधों को रोगकारकों से लड़ने की आन्तरिक क्षमता का भी विकास करता है। Biological control of insect pest 2024

किन प्रकार के फसलों में होता है ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल

Biological control of insect pest 2024ट्राइकोडर्मा की विशेषता यही है कि किसान एक नहीं, बल्कि कई फसलों में इसका उपयोग कर सकते हैं। आप सब्ज़ियों, दलहनी फसलों, गन्ना, गेहूं, धान आदि फसलों में तो कर ही सकते हैं, साथ ही फलदार पौधों के लिए यह फायदेमंद साबित होता है।

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कैसे किया जाता है ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल

  • ट्राइकोडर्मा का प्रयोग बीज उपचार, पौध उपचार, कंद उपचार, मिटटी उपचार या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर किया जा सकता है।
  • • बीज उपचार हेतु 6-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा को प्रति कि.ग्रा. बीज के साथ बुआई से पहले मिलाएं।
  • • नर्सरी/पौध /पनीरी उपचार: नर्सरी बेड के प्रति 100 वर्ग मीटर में 10-25 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाएं। इसके उपचार से पहले नीम केक और गोबर की खाद का प्रयोग इसके प्रभाव को बढ़ाता है।
  • • कटिंग / कलम और सीडलिंग / पौध में जड़ उपचार: 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर और 100 ग्राम अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाएं और कलम और पौध को टोपण/बिजाई से पहले 10 मिनट के लिए डुबोएं।
  • • मिट्टी उपचारः
  • • हरी खादों जैसे सनई (सनहेम्प) या ढेचा को मिट्टी में मिलाने के करने के बाद 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति एकड़ की दर से मिटटी में डालें।
  • • मृदा उपचार हेतु 3-4 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा को 50 कि.ग्रा. नीम केक / गोबर की सड़ी गली खाद में मिलाकर एक एकड़ में मिला दें।
  • • 100 किलोग्राम फार्मयार्ड खाद (गोबर की सड़ी खाद) में। किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाएं और इसे 7 दिनों तक पॉलीथिन से ढक दें। नमी बनाये रखने के लिए बीच बीच में इस ढेर पर पानी छिड़कें। इस मिश्रण को हर 3-4 दिनों के अंतराल में उलटायें और फिट खेत में मिला दें।
  • • पौधा उपचारः एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर का घोल बनाकर पौधे के तने के पास की मिट्टी को उपचारित करें। Biological control of insect pest 2024
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Biological control of insect pest 2024 ट्राईकोडर्मा संवर्धित खाद

इस विधि से किसान एक व्यवसायिक उत्पाद की छोटी मात्रा से पर्याप्त मात्रा अपने स्तर पर बनाकर न केवल बड़े क्षेत्र में प्रयोग कर सकते हैं बल्कि अपने ही स्तर पर इसे गुणित कर ज्यादा से ज्यादा फसलों में भी प्रयोग कर सकते है। पर, ध्यान रखें की यह लंबी अवधि के लिए न करें । 100 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट या नीम की खल्ली लें। इसे किसी छायेदार शेड में फैलाकर रखें। Biological control of insect pest 2024 फिर इसके ऊपर एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा उत्पाद बुरक दें और कुदाल या फावड़े से अच्छी तरह मिलाएं। अगर ये सूखी लगे तो हल्की पानी के छींटे दे दें। इसके बाद इसे पॉलीथीन से ढ़क दें। हर 7 दिन के अंतराल पर मिश्रण को मिलाएं। लगभग 20 दिन में खाद ट्राइकोडर्मा संवर्धित हो जायेगी जिसे खेतों में विस्तारित कर अथवा जोत-गड्ढे में डालकर फसल लगाएं। बागवानी पौधों जैसे- आम, लीची इत्यादि में रिंग बेसिन बनाकर संवर्धित खाद डाला जा सकता है। Biological control of insect pest 2024

Biological control of insect pest 2024 ट्राइकोडर्मा के प्रयोग की विधि :

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों द्वारा किया जा सकता है : Biological control of insect pest 2024

1.बीजोपचार : बीजोपचार के लिए प्रति किलो बीज में

5-10 ग्राम ट्राईकोडर्मा पाउडर (फार्मूलेशन) जिसमें 2×10″ सी.एफ.यू. प्रति ग्राम होता है, को मिश्रित कर छाँव में सुखा लें फिर बुआई करें ।

2. कंद उपचार : 10 ग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति लीटर पानी में डालकर घोल बना लें फिर इस घोल में कंद (बल्व) को 30 मिनट तक डुबा कर रखें। इसे छाया में आधा घंटा रखने के बाद बुआई करें।

3. सीड प्राइमिंग बीज बोने से पहले खास तरह के

घोल में बीजों को लथपथ कर छाये में सुखाने की क्रिया को ‘सीड प्राइमिंग’ कहा जाता है। ट्राइकोडर्मा से सीड प्राइमिंग करने हेतु सर्वप्रथम गाय के गोबर का गारा (स्लरी) बनायें। प्रति लीटर गारे में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा उत्पाद मिलाएँ और इसमें लगभग एक किलो बीज डुबो कर रखें जिसे बाहर निकाल कर छाया में थोड़ी देर सूखने दें फिर बुआई करें। ये प्रक्रिया खासकर अनाज, दलहन और तिलहन फसलों की बुआई से पहले करना उपयुक्त होता है।

4. मृदा शोधन : एक किलो ट्राईकोडर्मा पाउडर को 25 Biological control of insect pest 2024

किलो कम्पोस्ट (गोबर की सड़ी खाद) में मिलाकर एक सप्ताह तक छायादार स्थान पर रख कर उसे गीले बोरे से ढकें ताकि इसके बीजाणु अंकुरित हो जाएं। इस कम्पोस्ट को एक एकड़ खेत में फैलाकर मिट्टी में मिला दें फिर बुआई / रोपाई करें।

5. सरी उपचार : बुआई से पहले 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा उत्पाद प्रति लीटर पानी में घोलकर नर्सरी बेड को भिगोएं।

6. कलम और अंकुरीत पौधों की जड़ डुबकी (कटिंग एंड सीडलींग रूट डिप) : एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा घोल लें और कलम एवं अंकुरित पौधों की जड़ों को 10 मिनट के लिए घोल में डुबाकर रखें, फिर रोपण करें । Biological control of insect pest 2024

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ट्राइकोडर्मा के प्रयोग से लाभ :

1. यह रोगकारक जीवों की वृद्धि को रोकता है या उन्हें मारकर पौधों को रोग मुक्त करता है। यह पौधों के रसायनिक प्रक्रियाओं को परिवर्तित कर पौधों में रोग-रोगी क्षमता को बढ़ाता है। अतः इसके प्रयोग से रसायनिक दवाओं, विशेषकर कवकनाशी पर निर्भरता कम होती है।

2.  यह पौधों में रोगकारकों के विरूद्ध तंत्रगत अधिग्रहित प्रतिरोधक क्षमता (सिस्टेमिक एक्वायर्ड रेसिस्टेन्स) की क्रियाविधि को सक्रिय (ट्रिगर) करता है।

3 . यह मृदा में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन की दर बढ़ाता हैं अतः यह जैव उर्वरक की तरह काम करता है।

4.यह पौधों में एंटी ऑक्सिडेंट गतिविधि को बढ़ाता है। टमाटर के पौधों में ऐसा देखा गया कि जहाँ मिटट्टी में ट्राइकोडर्मा डाला गया उन पौधों के फलों की पोषक तत्वों की गुणवत्ता, खनिज तत्व और एन्टिऑक्सीडेंट गतिविधि अधिक पाई गई।

5. यह पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है क्योंकि यह फॉस्फेट एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों को घुलनशील बनाता है। इसके प्रयोग से घास और कई अन्य पौधों में गहरी जड़ों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई जो उन्हें सुखाड़ में भी बढ़ने की क्षमता प्रदान करता है।

6. ये कीटनाशकों, वनस्पतिनाशकों से दूषित मिटट्टी के जैविक उपचार (बॉयोरिमेडिएसन) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें विविध प्रकार के कीटनाशक जैसे- ऑरगेनोक्लोरिन, ऑरगेनोफॉस्फेट एवं कार्बोनेट समूह के कीटनाशकों को नष्ट करने की क्षमता होती है। Biological control of insect pest 2024

ट्राइकोडर्मा के लिए क्या सावधानियां बरतें

विशेषज्ञ ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल के दौरान निम्न सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं-

• ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल के कम से कम 4-5 दिन बाद ही किसी रासायनिक दवा का इस्तेमाल करें।

• ट्राइकोडर्मा के अच्छी तरह से काम करने के लिए नमी का होना आवश्यक है।

• मिट्टी जब सूखी हो, तो ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल न करें।

• ट्राइकोडर्मा-युक्त गोबर की खाद को अधिक समय तक नहीं रखें। • ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल क्षारीय भूमि में कम लाभदायक होता है।

• ट्राइकोडर्मा-युक्त बीज को बहुत देर तक धूप में न रखें।

निष्कर्ष

Biological control of insect pest 2024 मिटट्टी के परिवेश में मौजूद कई सूक्ष्मजीवों में ट्राइकोडर्मा कृषि के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। न केवल यह कवक, जीवाणु और सूत्रकृमि जनित रोगों से पौधों का बचाव करते हैं बल्कि पौधों की वृद्धि में भी कई तरह से मदद करते हैं। ट्राइकोडर्मा खेती में प्रयुक्त मँहगे रासायनिक जैवनाशी का विकल्प तो है ही, साथ ही यह जैविक खेती के लिए एक अपरिहार्य घटक है। मानवीय जरूरतों की प्रतिपूर्ति के साथ-साथ पारिस्थितिकी को बिना क्षति पहुंचाएँ टिकाऊ खेती करना है तो ट्राइकोडर्मा को अपनाने की सख्त जरूरत है। ट्राइकोडर्मा का व्यवसायिक फार्मूलेशन सरकार / राज्य कृषि विभागों / निजी उर्वरक कम्पनियों से प्राप्त किया जा सकता है। Biological control of insect pest 2024

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ब्यूवेरिया बेसियाना का उपयोग कई कीटों जैसे दीमक, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लिज़, एफिड्स, बीटल और कई अन्य कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशक के रूप में किया जा सकता है.

कीट प्रबंधन के लिए ब्यूवेरिया बैसियाना का उपयोग करना

Biological control of insect pest 2024 ब्यूवेरिया बैसियाना एक कवक है जो कीड़ों में सफेद मस्कैडिन रोग नामक बीमारी का कारण बनता है। जब इस कवक के बीजाणु अतिसंवेदनशील कीड़ों की छल्ली (त्वचा) के संपर्क में आते हैं, तो वे अंकुरित होते हैं और छल्ली के माध्यम से सीधे अपने मेजबान के आंतरिक शरीर में बढ़ते हैं। यहां कवक कीट के पूरे शरीर में फैल जाता है, विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करता है Biological control of insect pest 2024 और कीट के पोषक तत्वों को खत्म कर देता है, अंततः उसे मार देता है। इसलिए, कीड़ों के जीवाणु और वायरल रोगजनकों के विपरीत, ब्यूवेरिया और अन्य कवक रोगजनक संपर्क से कीट को संक्रमित करते हैं और संक्रमण पैदा करने के लिए उनके मेजबान द्वारा सेवन करने की आवश्यकता नहीं होती है। एक बार जब कवक अपने मेजबान को मार देता है, तो यह छल्ली के नरम भागों के माध्यम से वापस बढ़ता है, और कीट को सफेद फफूंद की एक परत से ढक देता है (इसलिए इसका नाम सफेद मस्कैडिन रोग है)। यह कोमल साँचा लाखों नए संक्रामक बीजाणु पैदा करता है जो पर्यावरण में छोड़े जाते हैं। Biological control of insect pest 2024

ब्यूवेरिया पूरे पूर्वोत्तर (और दुनिया भर में) की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कवक है और इस पर मिट्टी से पैदा होने वाले कीड़ों (उदाहरण के लिए यूरोप में मई बीटल, न्यूजीलैंड में अर्जेंटीना स्टेम वीविल) के नियंत्रण के लिए शोध किया गया है। हालाँकि, कई मिट्टी के कीड़ों में इस रोगज़नक़ के प्रति प्राकृतिक सहनशीलता हो सकती है, जो कई पत्तेदार कीटों में प्रदर्शित नहीं होती है। इसलिए, जैविक नियंत्रण के लिए Biological control of insect pest 2024 इस कवक के व्यावसायिक विकास को मुख्य रूप से पत्ते खाने वाले कीटों के विरुद्ध लक्षित किया गया है। Biological control of insect pest 2024

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Insect Control : Biological control of insect pest 2024

यंह मुख रूपसे रसचुसने वाले किट और पत्तिया चबाने वाले किट दोन्हो को कंट्रोल करता है। जिसमे अफ्फिद, सफ़ेद मक्खी, मिलिबग, ग्रास हॉपर, स्टिंक बग, थ्रिप्स, लाल चीटी, Fruit फ्लाई, स्टेम बोरर, बीटल, बोल वेविल, कटर पिलर इल्ली, कोड्लिंग मोथ, यूरोपियन मकई बोरर, Strawberry Root वेविल, Termites और Mites को कंट्रोल करता है। रिजल्ट टाइम कि बात करे तो 15-20 दिन तक इसका अच्छा रिजल्ट देख्नोनेको मिलाता है। इसे आप टॉनिक ,NPK, किसी भी कीटनाशक के साथ मिक्स करके स्प्रे कर सकते है। लेकिन आप खरपतवार नाशक के साथ मिक्स ना करे। फसल को नुकसान पहुंच सकता है।

फफूंद का छिडकाव हम किन किन फसलो में कर सकते है ?

मुख रूपसे हम इसका छिडकाव पपीता, तरबूज, चीकू, कपास, मूंगफली, टमाटर, बेंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी, फूलगोभी, पत्तागोभी, करेला, लौकी, तुरई, लोबिया, मटर, फ्रेंचबिन्स, खीरा, आम और केला पर कर सकते है. Biological control of insect pest 2024

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फसलो को मिलनेवाले फायदे

कपास :पौधे को तनाव से बचाता है, फूलो की गलन कम करता है। कपास में सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स, बोलवार्म और अफ्फिद को कंट्रोल करता है। पौधे को सुरक्षा प्रदान करता है। उपज को बढ़ाने केलिये सहायक है। मजबूती देता है। पोधे का विकास करनेमे सहायता करता है। पौधे को हराभरा रखनेमे मदत करता है। पौधे को रोगों से लढ़ नेमे मदत करता है। Biological control of insect pest 2024

टमाटर :टमाटर में मुख्यतः सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स, अफ्फिद, फलभेद्क इल्ली और मकड़ियो को कंट्रोल करता है। फसल को सुरक्षा प्रदान करता है। उपज बढ़ाने में मदत करता है। फसल को मजबूती देता है। विकास करनेमे मदत करता है। पौधे को हराभरा रखनेमे मदत करता है। पौधे को रोगों से लढ़ नेमे ताकत देता है। Biological control of insect pest 2024

मिर्च : मिर्च में मुख्यतः सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स, कटर पिलर, फलभेद्क इल्ली और स्टेम बोरर को कंट्रोल करता है। उपज में वृद्धी केलिये सहायक है। फसल को मजबूती देता है। सुरक्षा प्रदान करता है। पोधे का विकास करनेमे सहायता करता है। फसल को हरीभरी रखनेमे मदत करता है। पौधे को रोगों से लढ़ नेमे ताकत देता है।

बेंगन: बेंगन में मुख्यतः सफ़ेद मछर, थ्रिप्स, अफ्फिद और स्टेम बोरर को कंट्रोल करता है। पौधे को सुरक्षा प्रदान करता है। उपज बढ़ाने में मदत करता है। मजबूती देता है। क्वालिटी बनाये रखता है। पोधे का विकास करनेमे सहयता करता है। फसल को हरीभरी रखनेमे मदत करता है। पौधे को रोगों से लढ़ नेमे मदत करता है।

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